बेटों का फर्ज अदा कर रही हैं अहमदनगर की तीन बेटियां

 12 Jan 2022  491

संवाददाता/in24 

कुछ लोग बेटी पैदा होने पर उतना खुश नहीं होते जितना कि बेटे के जन्म पर उन्हें मिलती है. लेकिन बेटियों को गर्भ में ही मार देने वालों और बेटियों को बोझ समझने वालों के मुंह पर ये खबर किसी तमाचा से कम नहीं। खबर है महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले की जहां तीन लड़कियां अपने पिता का इलाज कराने के लिए दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर हैं लेकिन गौर करने वाली बात ये है कि आर्थिक परिस्थिति बद से बदतर होने के बाद भी इनका हौसला बुलंद है. इनके भीतर आत्मविश्वास कूट-कूट कर भरा है. ऐसा लगता है कि ये बेटियां मिलकर अपने पिता के प्रति एक बेटे का फर्ज निभा रही है. अपनी टीवी स्क्रीन पर जिन तीन लड़कियों को दौड़ते हुए आप देख रहे हैं ये हैं शीतल भंडारी, भाग्यश्री भंडारी और साक्षी भंडारी, जो आपस में सगी बहने हैं, जो अहमदनगर जिले में स्थित पारनेर तालुका के अंतर्गत आने वाले अलकुटी गांव की रहने वाली हैं. ये तीनों बेटियां अपने मजबूर इरादों से न केवल जिंदगी से जंग लड़ रही हैं, बल्कि आसमान में ऊँची उड़ान भरने की जद्दोजहद में भी लगी हुई हैं.

दरअसल ये तीनों बेटियां मैराथॉन दौड़ की तैयारी कर रही हैं, ताकि जीतने के बाद इनाम में जो पैसे इन्हे मिलेंगे, उससे ये अपने पिता भास्कर भंडारी का इलाज करेंगी, जो पिछले 15 सालों से पैरालिसिस की वजह से बिस्तर पर ही पड़े हैं. बताया जा रहा है कि बुरी तरह से बीमार भास्कर भंडारी के पास केवल डेढ़ बीघा जमीन है, और उनके पास आय का कोई साधन नहीं है, ऐसे में मा-बाप और एक छोटे भाई का सारा जिम्मा इन तीन बहनों पर आ गया है. जब मदद के कोई हाथ नहीं दिखाई दिए तो इन बहनों ने अपने पसंदीदा खेल को अपना लिया और पूरी मेहनत और लगन के साथ ये जी जान से कोशिश में जुट गयी है ताकि दौड़ प्रतियोगिता में ये शीर्ष स्थान हासिल कर इनाम में मिलने वाली राशि से अपने पिता का ये इलाज करा सकें। इनकी सहायता के लिए गाँव के ही एक प्रशिक्षक इन्हें दौड़ने के सारे गुण सिखा रहे हैं. ताकि मैराथॉन दौड़ प्रतियोगिता में इनका चयन हो सके ... गरीबी और बदहाली की मारी इन लड़कियों ने सरकार से भी सहायता की गुहार लगाई है.

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