धोबीघाट के कपड़ों से भी पैदा हो सकती है बिजली
04 Nov 2019
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संवाददाता/in24 न्यूज़.
विज्ञान दुनिया को समझने का सबसे अच्छा और बेहतर माध्यम है. तकनीक और जानकारी के संगम से जो आविष्कार होता है उसका लाभ सिर्फ कोई वैज्ञानिक नहीं उठाता बल्कि उसका लाभ दुनिया भी उठाती है. अब खबर है कि धोबीघाट पर धोए गए कपड़ों से भी बिजली पैदा की जा सकती है. गौरतलब है कि आईआईटीखड़गपुर, मैकेनिकल विभाग के शोधकर्ताओं ने प्राकृतिक परिवेश में धोबीघाट के कपड़ों से बिजली पैदा करने का दावा किया है. यह शोध एक धोबी घाट में किया गया है जिसमें 3,000 वर्ग मीटर के सतह क्षेत्र के साथ 50 गीले कपड़े का उपयोग किया गया, जिसे सुदूर गांव में वाशरमेन द्वारा सुखाने के लिए रखा गया था. कपड़े एक वाणिज्यिक सुपर-कैपेसिटर से जुड़े थे. इस प्रक्रिया में शोधकर्ता 24 घंटों में लगभग 10 वोल्ट तक का चार्ज करने में सफल रहे यह संग्रहीत ऊर्जा एक सफेद एलईडी को एक घंटे से अधिक जलाने के लिए पर्याप्त है. एक रिपोर्ट के अनुसार मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के एएनआई प्रोफेसर सुमन चक्रवर्ती ने कहा कि हमने यह पता लगाने के लिए बहुत महत्वपूर्ण शोध किया है कि यह वास्तव में संभव है. खुले स्थान में सूखने वाले कपड़ों से बिजली पैदा की जा सकती है. बड़े पैमाने पर इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है लेकिन ग्रामीण समुदाय के जीवन को बदलने के लिए यह पर्याप्त है.” कहा गया है कि "कपड़े सेल्यूलोज फाइबर के एक बहुत ही जटिल नियमित संरचना से बना है. इन सेल्यूलोज फाइबर का उनकी दीवारों में कुछ आवेश होता है. यदि आप नमक के घोल में कपड़े का एक टुकड़ा डुबोएं और सतह के तनाव से वाष्पोत्सर्जन करें, फिर नमक का घोल और आयनित हो जाएगा क्योंकि यह सेल्यूलोज फाइबर के विभिन्न मार्गों के साथ चलता है. एक सतत प्रक्रिया में आयनों की गति एक निरंतर वोल्टेज उत्पन्न करती है. आईआईटी अनुसंधान दल इस तकनीक को दूरदराज के क्षेत्रों में लागू करने की योजना बना रहा है जहां बिजली की उपलब्धता एक बड़ी चिंता है.